जानें, इंसानों में दिल के दौरे का खतरा ज्यादा क्यों होता है
सेहतराग टीम
इंसानों में हृदय संबंधी रोगों का खतरा बढ़ने का कारण हमारे पूर्वजों में 20 से 30 लाख साल पहले एक ‘जीन’ का नष्ट हो जाना रहा होगा। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधार्थियों ने कहा कि इसी जीन के नष्ट हो जाने ने संभवत: मांसाहारी मनुष्यों में इस खतरे को और बढ़ा दिया होगा।
उन्होंने बताया कि वसा जमने के कारण धमनियों का बाधित होना (एथेरोस्कलेरोसिस) दुनिया भर में हृदय रोगों से होने वाली एक तिहाई मौतों के लिए जिम्मेदार है।
इसके अलावा खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाना, शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहना, आयु, उच्च रक्तचाप, मोटापा और धूम्रपान जैसे ऐसे कई ज्ञात कारण हैं जिनकी वजह से हृदय रोग होते हैं।
हालांकि एथेरोस्कलेरोसिस के चलते पहली बार होने वाले 15 प्रतिशत हृदय रोगों के पीछे इनमें से कोई कारण जिम्मेदार नहीं होता। यह अध्ययन पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
एक दशक पहले शोधकर्ताओं ने पाया था कि एथेरोस्कलेरोसिस के कारण इंसानों में होने वाला हार्ट इंसानों से मिलते जुलते जीवों, जैसे कि चिम्पांजी या अन्य स्तनपायी जानवरों में देखने को नहीं मिलता जबकि अन्य जोखिम घटक जैसे कि हाई ब्लड लिपिड, उच्च रक्तचाप और शारीरिक असक्रियता आदि दूसरे जीवों के लिए भी जोखिम घटक होते हैं।
नए अध्ययन के अनुसार चूहों पर किए गए शोध दिखाते हैं कि उनमें पाया जाने वाला सीएमएएच जीन जो कि सायलिक एसिड शुगर मॉलिक्यूल उत्पादित करता है, चूहों में हार्ट अटैक का खतरा कम करता है जबकि जिन चूहों में ये मॉलिक्यूल कम किया गया उनमें एथेरोस्कलेरोसिस बढ़ गया। इंसानों में ये जीन लाखों वर्ष पहले किसी वजह से समाप्त हो गया जिसके कारण इंसानों में एथेरोस्कलेरोसिस का जोखिम बढ़ गया है।
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